मैं एक आस्तिक और पक्का-विश्वासी (Strong Believer) व्यक्ति हूँ......(हालाँकि अपने विश्वास और अपनी आस्तिकता के लिये मेरे पास समुचित कारण व तर्क नहीं हैं).........फिर भी एक मित्र ने ज़िक्र छेड़ा तो मैंने सोचा कि अपनी जिज्ञासा सबके सामने रख ही दूँ.
आस्तिक और विश्वासी लोग मानते हैं कि ईश्वर स्वयंभू, अनादि और अनन्त है और उसी ने यह दुनिया बनाई है जबकि नास्तिकों व तर्कशास्त्रियों (Atheists & Rationalists) का प्रश्न है कि यह संसार स्वयंभू, अनादि और अनन्त क्यों नहीं हो सकता ?
नास्तिक व तर्कशास्त्री यह मानते हैं कि यह संसार, ईश्वर की रचना नहीं है बल्कि खुद ईश्वर ही मनुष्य द्वारा गढ़ा गया काल्पनिक आसरा है जो उसे अपनी असीमित कल्पनाओं, आकाँक्षाओं तथा सीमित क्षमताओं के बीच ताल-मेल बैठाने के लिए ज़रूरी लगता है........सच क्या है ?
आस्तिक और विश्वासी लोग मानते हैं कि ईश्वर स्वयंभू, अनादि और अनन्त है और उसी ने यह दुनिया बनाई है जबकि नास्तिकों व तर्कशास्त्रियों (Atheists & Rationalists) का प्रश्न है कि यह संसार स्वयंभू, अनादि और अनन्त क्यों नहीं हो सकता ?
नास्तिक व तर्कशास्त्री यह मानते हैं कि यह संसार, ईश्वर की रचना नहीं है बल्कि खुद ईश्वर ही मनुष्य द्वारा गढ़ा गया काल्पनिक आसरा है जो उसे अपनी असीमित कल्पनाओं, आकाँक्षाओं तथा सीमित क्षमताओं के बीच ताल-मेल बैठाने के लिए ज़रूरी लगता है........सच क्या है ?
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